Sourav
साम, दाम, दंड, भेद - चाणक्य नीति राजनीति की एक बड़ी पुरानी नीति है ‘साम, दाम, दंड, भेद’. ‘साम’ अर्थात् ‘समता’ से या ‘सम्मान देकर’, ‘समझाकर’; ‘दाम’ अर्थात् ‘मूल्य देकर’ या आज की भाषा में ‘खरीदकर’; ‘दंड’ अर्थात् ‘सजा देकर’ और ‘भेद’ से तात्पर्य ‘तोड़ना’ या ‘फूट डालना’ है. मतलब किसी से अपनी बातें मनवाने के चार तरीके हो सकते हैं – पहले शांतिपूर्वक समझाकर, सम्मान देकर अपनी बातें मनवाने का प्रयास करो. मान जाए अच्छा है, आपकी भी लाज रहे, मानने वाले की भी. पर अगर न माने, उसे मानने का मूल्य दो. मतलब जो भी उसकी अड़चन हो, उसके अनुसार मूल्य देकर उसे मनाओ. तब भी बात न बने, तो उसे इस मूर्खता के लिए दंडित करो. सितम उन्हें तोड़ेगा. लेकिन फिर भी बात न बने तो आखिरी रास्ता, ‘राजनीति का ब्रह्मास्त्र’ ‘भेद’ का प्रयोग करो; उनमें आपसी वैमनस्य पैदा करो, फूट डालो, वे जरूर मानेंगे. चाणक्य की यह नीति राजनीति शास्त्र की कुछ मूल नीतियों में है.
18 Thg 12 2015 11:19
Bài chữa · 3
Thank you, Sourav. Its very useful for me, for reading practice
21 tháng 12 năm 2015
utkarsh Shukla ji, मेरी मातृ भाषा हिन्दी है और ये मैंने लोगों का ज्ञान बढ़ाने के लिए post किया किया है।
18 tháng 12 năm 2015
Perfect. You have not made a single mistake.
18 tháng 12 năm 2015
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